नभ ने अपने अमृत घट से, प्रेम अमिय छलकाया।
रिमझिम लड़ियाँ रूप धरे प्रिय, देखो सावन आया॥
खिली खिली है हरित वसन को, पहने तरुणी लतिका।
धुली धुली लगती है सारी, तरु आच्छादित पतिका॥
कोयल छेड़े राग पंचमी, मन भौरा भरमाया।
रिमझिम लड़ियाँ...
फूलों से ले गंध प्रीत की, बहती है पुरवाई।
अंतस में मेरे बजती है, मधुर मिलन शहनाई॥
अलसाये नयनों में तेरे, सपनोँ ने घर पाया।
रिमझिम लड़ियाँ...
हरे हो रहे बाग़ लता वन, नदी बनी नखरीली।
दादुर झींगुर पिक की बोली, छेड़े तान सुरीली॥
हर्ष प्रीत का मधुमयी आँचल, धरती पर लहराया।
रिमझिम लड़ियाँ...