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सावन मासे मदन झकोरे / भोजपुरी

सावन मासे मदन झकोरे, भादो ही जमुराज अइले,
हे हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे सजनी री।।१।।
दोआदसी लागल बा केंवाड़िया ए हंसा, अगम घर चेत करू।।0।।
लाटा जे धुनि माता जे रोवे, सिरवा रोवे जेठ भइया
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे री सजनी।।२।।
डहर-धइधइ मेहर रोवे, सिरवा रोवे जेठ भइया
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे री सजनी।।३।।
चार जइना मिली खाट निकाले, मुख पर चदरी तनावे,
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे री सजनी।।४।।
चार जना मिली खाट उठावे, लेइ जाले घाट अवघाट
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे री सजनी।।५।।
पाँच जना पाँच करमा जे करे, मुख पर अगिनी घराए,
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे री सजनी।।६।।
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, घूमी-फिरी मंदिल निरेखे,
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे री सजनी।।७।।
दोआदसी लागल बा केंवड़िया ए हंसा, अगम घार दूर बसे।।0।।
इहे मंदिलवा में अति सुख कइलीं, घूमी-फिरी मंदिल निरेखे,
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे री सजनी।।८।।
आधा सरग जब हंसा गइले, बरमा पूछेले बए बतिया
ए हंसा, का-का-दान पुन कइले,
ए हंसा तोहरो बुलाहट आ गइले, सुनबे री सजनी।।९।।
बालापन में खेली गंववलीं, तरूनी में खुद बिसरै,
ए बरमा, ना कुछ दान-पुर कइलीं, सुनबे री सजनी।।१0।।
दोआदसी लागल बा केंवड़िया ए हंसा, अगम घर दूर बसे।।0।।
आरा से चीरी-चीरी कइले नवखंड, वारमा पूछे एक बतिया
ए हंसा, काहें ना दान-पुन क अइल, सुनबे री सजनी।।११।।
दोआदमी मा खुलल बा केंवड़िया, ए हंसा, अगम घर चेत करु।।