Last modified on 9 मई 2011, at 10:09

साहस / नरेश अग्रवाल

मालिक की ऑंखें हो गयी हैं छोटी
देखती हैं वे केवल अपने बच्चों को
बॉंटती हैं वे ढेर सारी पटाखे रंग-बिरंगे
होती हैं खुश उन्हें फोड़ते देखकर
पास खड़ा घर का काम करने वाला बच्चा
जो देखता है अपने मालिक को
पिता की नजर से
कर नहीं पाता साहस थोड़ा सा भी
दो फुलझाडिय़ॉं तक उनसे मॉंगने का ।