साहितकार
खोट-कपट
अर कूड़ी दुनियां सूं अळगी
कल्पना-जगत री
एक सांतरी दुनिया बणावण वाळो
सांतरो मिनख
साहितकार
कितरी लांठी ओपमा
कितरो मोटो सबद
जिणनै संवारयो
चंद-तुळसी-कबीर
मीरां-सूर
सूं लेय‘र
निराला-प्रेमचन्द
अर चन्द्रसिंह जैड़ा
अलमस्त अर फकीरी जीवणियां
अबै.....
नीं......
म्हैं तो फकत
कर सकूं
मालिक सूं अरज
निभावां मातभोम
अर मायड़ भासा सारू
सावळ फरज
हिड़दै में
बण्यो
रैवै हमेस
मिनखाचार
भलैई मत बणाइजे
इण जुग रो ऐड़ौ
लूंठो साहितकार।