सूरज गया,
रात ने अपने पंख पसारे,
निकल पड़े भीतर से बाहर
नभ में तारे,
हाहाकार समय करता है
सिंधु किनारे,
शील-भंग होता लहरों का
बिना विचारे ।
सूरज गया,
रात ने अपने पंख पसारे,
निकल पड़े भीतर से बाहर
नभ में तारे,
हाहाकार समय करता है
सिंधु किनारे,
शील-भंग होता लहरों का
बिना विचारे ।