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सिपाही / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल

जिनको तूने खड़ा किया था
कि वे हवा में उलटी ओर पोजिशन लेके
खड़े रहें।

दरख़्त टूट-टूट पड़े
रोशनियाँ उलट-उलट गईं।

कोई बाँह टूट गई
कोई तलवार झड़ गई
कोई वैसे का वैसा
टेढ़ा खड़ा हुआ है।
कोई ढेर हो गया
काफ़ी कुछ के साथ।

साँय-साँय करती हवा में
रात-रात गहरे होते रहते
अन्धेरों में
उन्होंने दिल नहीं हारा
न ही मुस्कुराना छोड़ा
न ही ध्यान हटाया।

मूल पंजाबी से अनुवाद : सत्यपाल सहगल