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सिफारिश मुरदों की / केदारनाथ अग्रवाल
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कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह
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सिफारिश
मुरदों की
मुरदों से होती है
जिंदगी
रोज-रोज
मरघट में रोती है।
रचनाकाल: १५-१२-१९७२