जन्म भूमि सिरनाम मेरा जो स्वर्ग लोक से प्यारा है।
इस मिट्टी को तिलक करूँ तो जीवन सफल हमारा है।
जहँ धर्म-कर्म आचार सभ्यता पर चलता जन सारा है।
मन्दिर मस्जिद गिरजा घर में लगता प्रभुवर की नारा है।
जिस देश की सुन्दर वायु से जीवन चल रहा हमारा है।
जिस धरती का अमृत जल पीकर आयु हमने धारा है।
अति विचित्र पर्वतमाला प्राकृतिक सुयश विस्तारा है।
सुन्दरता से पूर्ण नदी की बहती निर्मल धारा है।
जहँ नव वसंत सम हरा भरा लख देश में ग्रीष्म हारा है।
मन भावना राष्ट्रीय चेतना से जन मन उजियारा है।
जहँ राष्ट्र पिता श्री बापू का सिद्धान्त सभी को प्यारा है।
जहँ मानवता की अमर मूर्ति से दानवीय मुख कारा है।