सावन के महिना में होतै, सिवजी के पूरा सिंगार। रंग-बिरंगी फूलोॅ के, बेलपातोॅ के लगतै अम्बार॥ हर सोम्बार उपास करी केॅ, धरतै सिव चरनों पर ध्यान। सिवजी खुस होतै ओकरा पर करतै ओकरोॅ सब कल्यान॥