आओ जीने की कला
हम सीखें और सीखाएँ,
अपने बड़ों से समझ लेके हम,
छोटों को राह दिखाएँ।
देश के नव निर्माण में हम,
अपना भी हिस्सा जोडे़।
जाति, पंथ और वर्ग भेद की,
दीवारों को तोड़ें।
अपनेपन की गंगा में हम,
प्रेम के दीप जलाएँ।
अपने बड़ों से समझ लेके हम,
छोटों को राह दिखाएँ।
पुरखों के सुन्दर सपनों को,
मिल जुल कर साकार करें
संस्कृति के गौरव को हम,
जनजीवन में संचार करें।
सत्य-अहिंसा और धर्म की,
ध्वजा को हम फहराएँ ।
अपने बड़ो से समझ ले के हम,
छोटो को राह दिखाएँ।
इस धरती के कण-कण का,
हम नव रंग से श्रृंगार करें।
नव मूल्यों, नव लक्ष्यों का,
निज जीवन में निर्माण करें।
कुसुमों की सुरभि से,
उपवन को गह-गह महकाएँ।
अपने बड़ो से समझ ले के हम,
छोटों को राह दिखाएँ।