एक दोस्त ने सवाल किया
कि स्त्री हमेशा सीता ही क्यों होती है?
उसे बुद्ध भी तो होना चाहिए!
“क्योंकि बुद्ध की तरह
अपने सोते पति और बच्चे को छोड़कर जाएगी
तो ये घटिया समाज पहले ही घोषित कर देगा
कि प्रेमी के साथ भागी होगी,
कोई यह नहीं जानेगा कि ख़ुद की तलाश में निकली है।”
यह समाज बड़ा दोगला है स्त्री
बुद्ध जंगल से लौटते हैं तो तथागत हो जाते हैं,
सीता लौटती है तो कलंकित हो जाती है।