जामवंत बोले हनुमत से, याद करो बल अमित सुजान
लांघ समंदर इक छलांग में ,लंका पहुंच गए हनुमान
मिली निशिचरी एक सिंहिका
खींच ले गई जल के भीतर
उसे मार यमपुर पहुंचाया
मिली लंकिनी लंकद्वार पर
निज पौरुष से किला भेदकर, तोड़ा रावण का अभिमान
राम नाम अंकित घर देखा
मिले विभीषण गले लगाया
फिर अशोक वाटिका आकर
मातु सिया का दर्शन पाया
सौंप मुद्रिका मातु सिया को, करवाई अपनी पहचान
पूंछ जलाई जब असुरों ने
बजा वहां हनुमत का डंका
एक विभीषण का घर छोड़ा
जली पूर्ण सोने की लंका
चूड़ामणि लेकर लौटे हनु ,देख प्रसन्न हुए भगवान