मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सीयारामे राम हौ नारायण
हौ सुमिरन करै छी
सीयाराम राम के सुमिरन करै छी हौ
दुरगा देवी असामरी तोरा कहै छी
दिल के वार्त्ता आ सभा लागल तीसीपुरमे
मुनीसिंहमे मंशी दरोगा ड्योढ़ीमे बैठल
आ तहि के असरमे अन्हेरबाट तीसीपुरमे जुमि गेलै यौऽऽ।
हौ तीसीपुरमे अन्हेरबाट जुमैय
घाट लगा के हौ देवता बोलैय
आ छौड़ा पलटनियाँ ड्योढ़ी पर जुमलै खड़े पहरा करैय
हा घाट लगा के पलटनियाँ बोलै छै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
कहाँ रहै छह कहाँ बसै छह
किया लऽ कऽ तीसीपुरमे आ
तकरो हलतिया जल्दी हमरा बोलि दीयौ यौऽऽ।