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सुकाल में / रजत कृष्ण

इस बरस बारिश अच्छी हुई
माहो कटवा की मार से भी बची हुई है फ़सल
खड़ी फ़सल देख मेड़ पर बैठा जगतू सोच रहा है
बेटी के हाथ पीला कर देगा इस रामनवमी में
फ़सल कटी, खलिहान पहुँची
मिसाई हुई, अन्न माता घर आई
और दौड़े आया महाजन पीछे-पीछे
मिली नोटिस बैंक की
दो साल के नाहर नाले टैक्स की
याद दिलाने घर आया अमीन पटवारी भी

जगतू ने महाजन का पाई-पाई चुकाई
चुकता किया बैंक का ऋण
भरा नहर-नाले का टैक्स भी
इस तरह से जैसे जगतू जैसे गंगा-नहाया
रही बात बेटी की
तो जगतू ने बड़े धूमधाम से
नियत समय पर किया उसका ब्याह
दामाद को दिया उसकी पसन्द का टी० वी० और हीरो साइकिल
ठीक-ठाक की बारातियों की आवभगत
गोत्र जनों को जमाया भरपूर कलेवा

हाँ इस बीच हमारे गाँव के दुःख में जुड़ गया एक और दुःख
कि जगतू राम वल्द भुखऊ कलार भी
जा खड़ा हुआ उनमें
जो रहे सहे खेत बेचकर
उस सुकाल में भी
हों गए भूमिहीन खेतिहर