काल रहसल त्रास बहकल
मधुमासे संत्रास महकल
अषाढ़ कुपित इन्द्र रूसल
जल बुन्न बिनु बिआ विहुसल
आड़ि चहकल खेत दड़कल
प्रशान्तक प्रकोपे मनसून सरकल
शोषित कलकल जुआनी गरकल
रोहिणी-आरदरा सुखले रमकल
“ग्लोबल-वार्मिग” फनकल
क्षुब्धो प्रकृति सनकल
विज्ञानक चमत्काररमे उच्छ्वा स छनकल
गाछ काटि फोर लेन बनेलौं
पहिने किअए नै नवगछुली लगेलौं
अपने गतिक स्टेरयरिंग पकड़लौं
मजूर किसानकेँ घर बैसेलौं
कृषि प्रधान देशमे नोरक स्नालत
आँखिक शोणितसँ केना भीजत पात?
ऐ बेर सुखाड़ साउनो बीतल
दीनक आत्माड तीतल
भदैया बूड़ल रब्बीाक कोन आश
सुक्ख ल मुरदैया मरूझल कास
अगिला साल आओत बाढ़ि
देलौं खेतिहरकेँ ताड़ि?
वाह रौ विज्ञान वाह रौ धनमान
बिनु हथिहारें लेलें गरीब-गुरवाक जान
जकर भऽ सकए संलयन आ विघटन
आयुर्वेदमे तइ रसायनक चर्चा
विज्ञानक बाढ़िमे सगरो पाॅलीथीन
कागत छोड़ि वाॅटि रहलौं प्लावस्टिरकक पर्चा
आजुक रसायनसँ माटिक कोखि उजड़ल
ठुट्ठ डाॅट किछु नै मजड़ल
प्लाठस्टि क छोड़ि लिअ जूटक बोरा
पाॅलीथीन नै ठोंगा-झोरा
छोड़ रौ धनचक्कर
एडभान्स बनबाक चक्कर
पकड़ेँ अपन बाप पुरुखाक देल हथियार
धरे मौलिक संस्काेर
केमिकलसँ नहा तँ लेबें
मुदा! की चिबेबें?