पूंजीपति लोग
पूंजी को पूजते हैं
शोषण करते हैं
ढोंग रचते हैं
धर्मशाला बनवाते हैं
रक्त शिविर लगवाते हैं
धर्मार्थी बनते हैं
टैक्स चोरी करते हैं
प्रभु उनका सहयोगी है
उनको दोनों हाथ से देता है
तभी तो
कार में वह सवार है
सुखी आदमी ।
पूंजीपति लोग
पूंजी को पूजते हैं
शोषण करते हैं
ढोंग रचते हैं
धर्मशाला बनवाते हैं
रक्त शिविर लगवाते हैं
धर्मार्थी बनते हैं
टैक्स चोरी करते हैं
प्रभु उनका सहयोगी है
उनको दोनों हाथ से देता है
तभी तो
कार में वह सवार है
सुखी आदमी ।