वह सुख लेकर मैं
क्या करूँगा
जिससे किसी को दुःख होता हो
मैं तो किसी के दुख में दुखी होकर ही
सुख की तलाश में
निकला था
यह कैसा सुख मिला मुझे
जिसमें दुख भी
छिपा हुआ है
क्या दुख के भीतर ही
सुख मिला हुआ है ?
वह सुख लेकर मैं
क्या करूँगा
जिससे किसी को दुःख होता हो
मैं तो किसी के दुख में दुखी होकर ही
सुख की तलाश में
निकला था
यह कैसा सुख मिला मुझे
जिसमें दुख भी
छिपा हुआ है
क्या दुख के भीतर ही
सुख मिला हुआ है ?