मैंने बुजुर्गों से बात की
उनके पास अनुभव थे
और अफसोस भी।
मैंने प्रौढ़ होते लोगों के भीतर देखा
वहाँ एक गहरा खालीपन था
अनसुनी पीड़ाएँ थी।
मैं युवाओं से मिला
उनके चेहरे पर
चिंताएं थी
प्रश्न थे।
फिर मुझसे एक बच्चा मिला
जिसके पास कुछ नहीं था
उसने आसमान की तरफ एक चुंबन उछाला
और मिट्टी पर लेट गया।