घर की छत पर
धूल-धक्कड़ के अटते ही
पिता साफ-सफाई में
जुट जाते थे
गुजरते लोगों की
आंखों के सुख के लिए
वे बारिश का इंतजार नहीं करते थे
घर की छत पर
धूल-धक्कड़ के अटते ही
पिता साफ-सफाई में
जुट जाते थे
गुजरते लोगों की
आंखों के सुख के लिए
वे बारिश का इंतजार नहीं करते थे