Last modified on 29 अगस्त 2012, at 17:19

सुख देते जो / संगीता गुप्ता


सुख देते जो
सि़र्फ वही
दुख भी दे सकते
राह चलता कोई
कब ठेस पहुँचाता
जो उबारते
वही चोट भी पहुँचाते

हाथ अकसर
हवन करते जल जाते
आसमान के सपने दिखाते जो
सपने के टूटने पर
मुड़ कर भी नहीं देखते
ऐसा होता ही रहता
प्रेम चिरायु नहीं होता
संग - साथ चिरकाल तक
नहीं चलते

फिर भी
हम शेष नहीं होते
बचा रहता
सच,
समय और
जीवन