सुदामजीको देखत श्याम हसे सुदामजीको देखत० ॥ध्रु०॥
हम तुम मित्र है बालपनके । अब तुम दूर बसे ॥ सुदामजी ॥१॥
फाटीरे धोती टुटी पगडीयां । चालत पाव घसे ॥ सुदा०॥२॥
भाभिजीने कुछ भेट पठाई । पोवे तीन पैसे ॥ सुदा०॥३॥
सूरदास प्रभु तुम्हारे मिलनसे । कंचन मेल बसे ॥ सुदामजी०॥४॥