सुनो!
तुम खुद
फेंक आओ
गाँव के बाहर
अपना ढोर-डांगर,
अपनी गंदगी,
अपनी पत्तल,
इससे जन्मना पाई
तुम्हारी जात!
कभी छोटी नहीं होगी
जाओ।
सुनो!
तुम खुद
फेंक आओ
गाँव के बाहर
अपना ढोर-डांगर,
अपनी गंदगी,
अपनी पत्तल,
इससे जन्मना पाई
तुम्हारी जात!
कभी छोटी नहीं होगी
जाओ।