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सुनोॅ-सुनोॅ सखिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

सुनोॅ-सुनोॅ सखिया, तुलसी अइलै हुलसी के गोदिया
कालन्दी तीरवा, सप्तमी तिथिया
शुक्ल पक्ष सावन के मासिया
घटा घनघोर छेलै अंधेरी रतिया
मूला नक्षत्र मुख राम बोलिया। तुलसी अइलै....
मूला नक्षत्र अशुभ जानिया
माता-पिता ने तुरंत तजिया
मिललै छत्रछाया चुन्नी दासिया
अइलै जवानी घोर रसिया
धीरे-धीरे बहेॅ लागलै प्रेम नदिया।
अच्छा गुरूजी मिललै रत्नावलिया
वहीं अच्छी सीख सरिता बोरिया
सुनकर उपदेश घोॅर बार छोड़िया
भटकै लागलै तुलसी चित्रकूट घटिया।
हौले-हौले सिल पर चंदन घिसिया
मिले रघुवीर जीवन सोधिया।
लिखलन काव्य उपदेश भरिया
अमर होय गइलै जगत सरिया।
हुनकर रामायण पढ़े बहन-भैय्या
कहें ‘दिनेश’ अब करजोरिया।
तुलसी अइलै हुलसी के गोदिया।