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सुनो-सुनो / पूर्णिमा वर्मन


सुनो-सुनो

कोई अजातशत्रु नहीं है

इसलिए आत्महत्या पाप नहीं है

मैंने भी आत्महत्या की है

एक नहीं कई बार

पर आत्मा ऎसी चीज़ है

कभी मरती नहीं है


जीतना है तो

ज़रूरी है

पुनर्जन्म लेना

तौलनी अपनी सामर्थ्य

धैर्य

फिर से बटोरना

पुन: नई काया में

साहस टटोलना


कि

युद्ध तो लड़ना ही है

बिना युद्ध कहीं कोई जीता है ?

यही रामायण है

यही गीता है