निर्भय रहने दो, मत छेड़ो इस वीणा के तार।
किसे सुनाओगे तुम इसकी सूनी-सी झंकार॥
उन तारों पर गाया करती हँ मैं नीरव गान।
नहीं जानती कब होगा इन गीतों का अवसान॥
निर्भय रहने दो, मत छेड़ो इस वीणा के तार।
किसे सुनाओगे तुम इसकी सूनी-सी झंकार॥
उन तारों पर गाया करती हँ मैं नीरव गान।
नहीं जानती कब होगा इन गीतों का अवसान॥