सुनो भवानी
शरण आपकी जोह रहे हैं
यहाँ दुखी जन
मंत्र पढ़े जो
जनकल्याणी
उलटे हुए अरथ आखर सब
और कहें कुछ और करें कुछ
युग निर्माता नट नागर अब
सुनो भवानी
माहुर खाने को आकुल हैं
यहाँ दुखी जन
मंदिर-मंदिर
खड्ग लिए अब
कितने भैरव नाथ खड़े हैं
हर अनीति को उचित बताते
अपनी पर ही सभी अड़े हैं
सुनो भवानी
एक-एक कर टूट रहे हैं
यहाँ दुखी जन
हर कन्या अब
बने भवानी
चामुण्डा सा माल पहनकर
काली जैसा खप्पर लेकर
अपराधी का रक्त चूसकर
सुनो भवानी कठिन समय है
टेर रहे हैं
यहाँ दुखी जन