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सुनो हो भितरिया जी / नईम

सुनो हो भितरिया जी! सुनो हो पुजारी जी!
हम तो भेड़ें प्रभु की, तुम हो दरबारी जी!!

समीचार सूखे के,
समीचार प्यासों के;

भिजवा दो समीचार
दहकते अकाशों के।

प्यासे आँचल के शिशु, भूखी महतारी जी!
सुनो हो भितरिया जी! सुनो हो पुजारी जी!!

लूट-पाट, बटमारी, कंजर ये सरकारी,
वज़न भी रखूँगा हूँ, अरज सुनो पर म्हारी।

सहमे ये नैनावद,
सहमी बनजारी जी!

प्रभु के लायक म्हारी बोली नी, बानी नी,
सामना करूँ कैसे, चेहरे पर पानी नी।

म्हारी झोपड़ियाँ हैं, आपकी अटारी जी!
सुनो हो भितरिया जी! सुनो हो पुजारी जी!!