प्यार से
बच निकलता हूँ मैं
तुम्हारे जादुई शिविर में
साँस लेते हुए जँगल में
जहाँ घास के सिरे
ख़ुद झुक जाते हैं
क्योंकि
इससे सुन्दर और कुछ नहीं है।
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित
प्यार से
बच निकलता हूँ मैं
तुम्हारे जादुई शिविर में
साँस लेते हुए जँगल में
जहाँ घास के सिरे
ख़ुद झुक जाते हैं
क्योंकि
इससे सुन्दर और कुछ नहीं है।
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित