बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सुन्दर फूल गुलाब का रे मोरे रउरे हां
अरे लीला लील न जाय
सो सुन्दर साजा पाइ के लालन
कि मोसे छाड़िउ छाड़ि न जाय
चुनरियां रंग छोड़े ये हां चुनरिया रंग छोड़े।
ये तुम ना छोड़ेउ मोरे सजना ये हां चुनरिया रंग छोड़े
मोरे अंगनइया मा फूलन की बहार है
बेला भी फूला चमेली भी फूली
सब फूलन मां राजा गुलाब है
मोरे अंगनइया मां फूलन की बहार है
तबला बाजै सरंगी रे बाजइ हां
सब बाजन मा राजा सितार रे
मोरी अंगनइया मां फुलन की बहार रे
जयपुर राजा है जोधपुर राजा है
सब राजन मां राजा रघुराज हैं
मोरी अंगनइया मा फूलन की बहार रे