Last modified on 7 मार्च 2021, at 23:23

सुन मुरली की तान / अनुराधा पाण्डेय

सुन मुरली की तान, भूली सभी नाम धाम, छोड़ लाज भय मान, मधुरस पी रही।
मन हुआ मधुवन, पुष्पमय चित्त वन, अविचल एकरस, मधुमास जी रही।
लब्ध हुआ प्रेम सूत्र, धन्य-धन्य नंद पुत्र, चुन-चुन पूर्व दंश, सद्य मग्न-सी रही।
मिल गया धनश्याम, जबसे उरस्थ श्याम, तबसे कैवल्य गति, मेरे पास ही रही।