सुबह होने का अर्थ
सचमुच बदल जाता है
जब एक बच्चा कंगारू
नभ प्राची की
थैलीनुमा गोद से
झाँकता है,
उसकी एक ही छ्लाँग में
चमक जाता है पृथ्वी का
सुन्दर चेहरा,
रक्तिम से क्रमशः
स्वर्णिम होता हुआ ।
सुबह होने का अर्थ
सचमुच बदल जाता है
जब एक बच्चा कंगारू
नभ प्राची की
थैलीनुमा गोद से
झाँकता है,
उसकी एक ही छ्लाँग में
चमक जाता है पृथ्वी का
सुन्दर चेहरा,
रक्तिम से क्रमशः
स्वर्णिम होता हुआ ।