जो सुबह का भूला
शाम को लौटे
तो भूला नहीं कहते
पर जो सुबह का भूला
दोपहर में लौटे तो
उसे चखाना धूप की चित्तियाँ
जो कहीं लौटे रात ढले
तो पिलाना घोलकर
बिहाग में चान्द
यदि भूला ही रहे
तो बहा देना पेड़ों के प्रेमपत्र
नदियों की थाह में
भूलना प्रेम की पहली सीढ़ी है