चारों तरफ लोग घरों में हैं अपने बिस्तर पर
सुबह की नींद से उठने की कोशिश करते हुए
हम कुछ ही लोग सुनसान सडक़ों पर सैर करते हुए
कितना अच्छा संबंध है यह, जागे और सोकर उठते लोगों का
हमारी ताजगी जरूर उन तक पहुंचती होगी
वे हमें देखते तो शायद और भी खुश होते
रास्ते के कुत्ते जमा हो रहे हैं एक साथ
अब उनमें सतर्कता कम दिखाई दे रही है
एक उम्मीद से घरों की ओर देखते हैं वे
लोग जागें तो उन्हें भी खाना-पीना मिले
धीरे-धीरे गाडिय़ों का शोर बढ़ चला है सडक़ों पर
सबसे पहले स्कूल जाने वाले बच्चे
निकलते हैं घरों से बाहर
अपनी पीठ पर भारी भरकम बैग लादे हुए
देखते- देखते बहुत सारे बच्चे
जैसे शिक्षा घुलती जा रही हो सुबह से
और सोचते हैं हम पुराने जमाने की बात
उन दिनों ठीक चार बजे सुबह हो जाया करती थी
यह शुभ समय था हमारे अध्ययन करने का।