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सुबह खुली तो / नंदकिशोर आचार्य

सुबह खुली
तो खिड़की में से
झुक आई है डाल
अपने पर फूल खिलाए -
सहारे पर जिसके
आ सकता है कोई साँप कभी अन्दर

इसे खुला ही रहने दूँ
या फिर कर दूँ बन्द।