हवा के दरमियान आज रात का पड़ाव है
मैं अपने ख़्वाब के चिराग़ को
जला न पाऊंगा ये सोच के
बहुत ही बदहवास हूँ
मैं सुबह से उदास हूँ।
हवा के दरमियान आज रात का पड़ाव है
मैं अपने ख़्वाब के चिराग़ को
जला न पाऊंगा ये सोच के
बहुत ही बदहवास हूँ
मैं सुबह से उदास हूँ।