Last modified on 31 अक्टूबर 2009, at 23:49

सुमित्रा / अग्निशेखर

झूठ नहीं बोलेंगी हवाएँ
झूठ नहीं बोलेगी पर्वत-शिखरों पर
बची हुई थोड़ी-सी बर्फ़
झूठ नहीं बोलेंगे चिनारों के
शर्मिन्दा पत्ते
उनसे ही पूछो
सुमित्रा के मुँह में चीथड़े ठूँसकर
उसे कहाँ तक घसीटती ले गई
उनकी जीप
अपने पीछे बाँधकर

हम तो बोलते हैं झूठ
कि पहले उसके साथ किया गया था बलात्कार
पर हवाएँ क्यों बोलेंगी झूठ