एक साया है
जो धुप के
असर को जानता है
जलता तपता
हर सर पहचानता है
आदेशों की
ज़ंजीरों में जकड़ा है
और हर मुश्किल से
गुज़र जाने को तय्यार है
इंसानियत का इसे
अख़्तियार भी है
नर्म बिस्तर
चैन की नींद
और गर्म खाने छोड़ देता है
संकट कोई आ जाये तो
रुख़ हवाओं के मोड़ देता है
ईद,दिवाली
ईस्टर,और वैसाखी
हर त्योहार में
तैनात रहते हैं
अपने बच्चों को
समझा बुझा के
जज़्बाती सा कोई
पाठ पढ़ा के
हर मुश्किल में
हमारे साथ रहते हैं
सुरक्षाकर्मी
हमारे हर दुःख सुख में
तैनात रहते हैं ॥