सुरत समार लौट के हेरो।
मन मस्ताना फिरत दिमाना विष बगिया में लेत बसेरो।
लोटे लागि निज नाम निहारो दुबदा दूर जुगत मन फेरो।
दिल दरयाव प्रेम जल पूरन कर असनान नैम नित तेरो।
हर-हर होत शब्द धुनि पूरन सत्त धाम पर हंस बसेरो।
जूड़ीराम गुरु सरने आयो चेतने वाला चेत सवेरो।