सुरत समार शबद घर खेलो।
नातर बहो जात भौसागर जीव गयो जमलोक अकेलो।
भाव अनक दांव सब खेलत कर्म सुकर्म बाँध जस मेलो।
हों मैं खलक झलख सब मों कर विवेक गति बाहर मेलो।
वाद-विवाद दूर कर राखो जूड़ीराम गुरु ज्ञान सगेलो।
सुरत समार शबद घर खेलो।
नातर बहो जात भौसागर जीव गयो जमलोक अकेलो।
भाव अनक दांव सब खेलत कर्म सुकर्म बाँध जस मेलो।
हों मैं खलक झलख सब मों कर विवेक गति बाहर मेलो।
वाद-विवाद दूर कर राखो जूड़ीराम गुरु ज्ञान सगेलो।