मुद्दत बाद वह सुर्ख़ाब आया है
पहने मेरा पसंदीदा लिबाज़ आया है
ये सुर्ख सफ़ेद परों का उजाला है ये फिर
कतरा है चांदनी का जो मख़मल पर हिजाब आया है,
अब और पैग़ाम ना भेजना 'शिव' के
खाली हाथ तुम्हारी ख्वाहिशों का जवाब आया है।
मुद्दत बाद वह सुर्ख़ाब आया है
पहने मेरा पसंदीदा लिबाज़ आया है
ये सुर्ख सफ़ेद परों का उजाला है ये फिर
कतरा है चांदनी का जो मख़मल पर हिजाब आया है,
अब और पैग़ाम ना भेजना 'शिव' के
खाली हाथ तुम्हारी ख्वाहिशों का जवाब आया है।