झरा नहीं है
ज़र्द गो पड़ गया पत्ता
पेड़ पर भार है
या प्यार उस का
—या हवा की कृपा
झूमता है मगर पत्ता
पेड़ के होने में
वह शामिल है अब तक
—सूखा ही सही
—
3 जून 2009
झरा नहीं है
ज़र्द गो पड़ गया पत्ता
पेड़ पर भार है
या प्यार उस का
—या हवा की कृपा
झूमता है मगर पत्ता
पेड़ के होने में
वह शामिल है अब तक
—सूखा ही सही
—
3 जून 2009