बरसात के लिए
धरती पर
हो रहे थे हवन
मिल रही थी अहूतियां
सूरज को
देवता होने के कारण
परन्तु
शर्मा रहा था सूरज
दिए बिना
लेने से !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
बरसात के लिए
धरती पर
हो रहे थे हवन
मिल रही थी अहूतियां
सूरज को
देवता होने के कारण
परन्तु
शर्मा रहा था सूरज
दिए बिना
लेने से !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"