उसने थूक दिया उसके मुँह पे
नोंच लिया उसे
त्याग के रोटी का भय
निकल पड़ी वहाँ से
सामने धूप थी खिली हुई
उसके पाँव भरे थे पसीने में
उसकी मुट्ठियों में क़ैद था
सूरज
उसने थूक दिया उसके मुँह पे
नोंच लिया उसे
त्याग के रोटी का भय
निकल पड़ी वहाँ से
सामने धूप थी खिली हुई
उसके पाँव भरे थे पसीने में
उसकी मुट्ठियों में क़ैद था
सूरज