Last modified on 27 दिसम्बर 2008, at 10:38

सूरज के घोड़े / वृन्दावनलाल वर्मा

सूरज के घोड़े इठलाते तो देखो नभ में आते हैं।
टापों की खटकार सुनाकर तम को मार भगाते हैं
कमल-कटोरों से जल पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं
सूरज के घोड़े इठलाते तो देखो नभ में आते हैं।