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सूरज हो अगर सब को उजाला बांटो / रमेश तन्हा

 
सूरज हो अगर सब को उजाला बांटो
हो चांद अगर तो शीतलता बांटो
शब जलना हो चुपचाप तो तारा बन जाओ
इंसां हो तो जीने का सलीक़ा बांटो।