धूल में सने
सूरीनामी पौधे
वर्षा की प्रतीक्षा में
धुँधली आँखों से
राह देख रहे हैं।
वर्षा आई
पौधों को हिला-डुला
नहला कर
साफ सुथरा कर गई
पौधे अब
झूम-झूम झुक-झुक
सलामी दे रहे हैं
पर धूल में मिला
सूरीनाम का भविष्य
सदियों से
आँख बिछाए बैठा है
कोई ऋतु तो आए
इस भविष्य को
नहला-धुलाकर
सुनहरा बनाए।