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सूर्ये नाँखी जलले चल / अमरेन्द्र

सूर्ये नाँखी जलले चल
या बर्फे रं गलले चल
भीड़ोॅ पर विश्वासे की
राही छैं तेॅ अकल्ले चल
ई पछियां की धमकैतै
आँधी पर तों पलले चल
मंजिल केॅ ठोकर मारें
आरो आगू चलले चल
सुस्ताबे नै छाँहीं में
घरलेॅ हाथ निकलले चल
सब गल्लोॅ पर संकट छै
गल्लोॅ गल्लोॅ मिलले चल
एक अकेल्लोॅ मारलोॅ जैबै
सौसे उठी मुहल्ले चल

-30.3.92