सूर्य तपता है
समुद्र दिन भर औटता है
धरती के प्याले में
पानी भाप बनकर उड़ता है
रात पागल चन्द्रमा चखता है
प्याले में शेष नमक का स्वाद
सूर्य तपता है
समुद्र दिन भर औटता है
धरती के प्याले में
पानी भाप बनकर उड़ता है
रात पागल चन्द्रमा चखता है
प्याले में शेष नमक का स्वाद