तुम्हारे इंतजार में
सुबह गई
शाम गई
थकी रीढ़
थक गई आँखे
तुम आईं
साथ लाईं
एक लम्बी मोटी दीवार
आशा कुरेदने लगी है
दीवार को
कहीं धोखे से
लगा रखि हो तुमने सेंध कहीं।
तुम्हारे इंतजार में
सुबह गई
शाम गई
थकी रीढ़
थक गई आँखे
तुम आईं
साथ लाईं
एक लम्बी मोटी दीवार
आशा कुरेदने लगी है
दीवार को
कहीं धोखे से
लगा रखि हो तुमने सेंध कहीं।