बाण चढ़ाया है रघुवर ने, बल विक्रम से सिंधु डरेगा
अब समुद्र पर सेतु बंधेगा
एक शिला पर हनुमत बैठे
प्रभु की छवि निज उर में धरते
सिंधु किनारे हर पत्थर पर
राम नाम हैं अंकित करते
डटी हुई है वानर सेना, नहीं एक भी वीर थकेगा
जामवंत आज्ञा देते हैं
वानर पत्थर लेकर आते
हैं निर्माण निपुण सेनानी
श्री नल नील उन्हें तैराते
वानर सेना का सैनिक ,इसमें भागीदार बनेगा
लाकर कंकड़ डाल रही थी
इक छोटी सी वहां गिलहरी
देख साधना लघु प्राणी की
दृष्टि राम की उस पर ठहरी
हाथ फेरकर प्रभु बोले हैं, नाम तुम्हारा अमर रहेगा